बिहार के एक निम्न मध्यवर्गीय परिवार में नौ सितंबर, 1987 को पैदा हुए तथागत की विलक्षणता का इल्म उनके माता-पिता को उनके छह वर्ष के होने पर ही हो गया था और इसे उन्होंने नौ साल में दसवीं पास करके, और १२ वर्ष, दो महीने, १९ दिन में पटना यूनिवर्सिटी से ७०.५ प्रतिशत अंकों के साथ एमएससी की परीक्षा उत्तीर्ण करके पुष्ट भी किया।
उनकी इस उपलब्धि ने उन्हें गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में स्थान दिलाया। और २१वें साल में इंडियन स्कूल ऑफ साइंस, बंगलुरू से डॉक्टरेट की उपाधि उनके हाथों में थी।
तथागत अवतार तुलसी (22) अब बतौर असिस्टेंट प्रफेसर आईआईटी मुंबई के स्टूडेंट्स को पढ़ा रहे है .
बाल मेधा के तौर पर खबरों में रहे तुलसी की प्रतिभा पर उंगलियां भी उठीं और उन्हें झूठा मेधावी जैसे आरोपों को भी झेलना पड़ा। लेकिन अपनी मेहनत से उन्होंने खुद को फिर प्रूव किया।
सबसे कम उम्र में भौतिकी में पीएचडी करने वाले तथागत पर इंडियन डिपार्टमेंट ऑफ साइंस ऐंड टेक्नोलॉजी ने एक समय ‘झूठा’ होने का आरोप लगाया था। और जर्मनी के एक प्रतिष्ठित सम्मेलन में उन्हें भेजे जाने को एक भूल बताते हुए खेद जताया था। लेकिन आज आईआईटी, मुंबई तथागत को अपने भौतिकी विभाग में बतौर असिस्टेंट प्रोफेसर जोड़कर गौरवान्वित महसूस कर रहा है।
sachi lagan ho to umr bhi bhadha nahi banti............
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